अवसर तोह थे, मगर जज़्बा ना था।
और अगर जज़्बा होता भी, तोह यकीं कौन करता?
इस कशमकश के चक्कर में पूरी दुनियां घूमे थी,
और पूरे दुनियां के साथ घूमें हम सब।
मगर एक समय आएगा जब दुनिया घूमना बंद कर देगी।
ना रहेगी हवा, ना पानी, और ना ही रहेगी ज़िन्दगी कि सुध।
रहेगा तो बस मलाल।
इस बात का, के दुनियां के चक्कर में अवसर को नकार दिया।
पर जब दुनियां की फ़िक्र नहीं रही,
तभी जज़्बा भी हमें छोड़कर चले गयी।
और अगर जज़्बा होता भी, तोह यकीं कौन करता?
इस कशमकश के चक्कर में पूरी दुनियां घूमे थी,
और पूरे दुनियां के साथ घूमें हम सब।
मगर एक समय आएगा जब दुनिया घूमना बंद कर देगी।
ना रहेगी हवा, ना पानी, और ना ही रहेगी ज़िन्दगी कि सुध।
रहेगा तो बस मलाल।
इस बात का, के दुनियां के चक्कर में अवसर को नकार दिया।
पर जब दुनियां की फ़िक्र नहीं रही,
तभी जज़्बा भी हमें छोड़कर चले गयी।
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