सब्ज़ी में गोभी है ज़्यादा,
आलू कम डालू क्या मैं?
कहता है अन्नदाता,
मजबूरियां है ज़्यादा,
ख्वाहिश कम डालू क्या मैं?
खाने में है तीखा ज़्यादा,
जलती अगर ज़ुबान है,
मिर्ची कम डालू क्या मैं?
जो रूठे इतना रहते हो,
फिर भी तुम कुछ ना कहते हो,
मस्ती कम डालू क्या मैं?
जीने की क्यों कोई आस नहीं,
लगती जो तुमको प्यास नहीं,
शोहरत कम डालू क्या मैं?
सब्ज़ी जब कम पड़ जाएगी,
और भूख तुम्हे सताएगी,
नीयत कम डालू क्या मैं?
-Shashank Jakhmola
आलू कम डालू क्या मैं?
कहता है अन्नदाता,
मजबूरियां है ज़्यादा,
ख्वाहिश कम डालू क्या मैं?
खाने में है तीखा ज़्यादा,
जलती अगर ज़ुबान है,
मिर्ची कम डालू क्या मैं?
जो रूठे इतना रहते हो,
फिर भी तुम कुछ ना कहते हो,
मस्ती कम डालू क्या मैं?
जीने की क्यों कोई आस नहीं,
लगती जो तुमको प्यास नहीं,
शोहरत कम डालू क्या मैं?
सब्ज़ी जब कम पड़ जाएगी,
और भूख तुम्हे सताएगी,
नीयत कम डालू क्या मैं?
-Shashank Jakhmola