Sunday, March 31, 2019

तस्वीरों की टोली

तस्वीरों की टोली

हमारी आपकी बोली

किसी राज़ की तरह

चंद कानों तक जा पहुंची।


आपका है हुनर

हमारी है जुर्रत

थोड़ा आपको बाटना

थोड़ा हमें है दिखाना।


कुछ हम पर आलोचनाएं

कुछ आप पर मज़ाक

जब तक दिए साथ

थोड़ा सा सेह लेंगे।


आप हो गए वीराने

हमें भी कई छोड़ गए

अनगिनत करके बहाने

चुन चुन मुंह मोड़ गए।


जान ना पहचान

ना एक दूजे के मेहमान

ना हुए कुछ हैरान

ना मिला कोई पैग़ाम।


हमारी पलकें झपकी

आपकी आंखें चड़ेंगी

बुलबुल बटुक के साथ

ग़म की सरगम लड़ेगी।


बसी बासी ये यादें

घिसे पिटे है अल्फ़ाज़

जिस दिन मिलन होगा

टूटेगें सबके राज।

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