बहाने को बहाना
थोड़ा दूर, थोड़ा दूर
अंखियों का आइना
होगा चूर, होगा चूर
दबी सी आवाज़ हैं
बासी अंदाज़ है
बिगड़े मिजाज़ पे
डालो धूल, डालो धूल
बाहाने को बहाना
थोड़ा दूर, थोड़ा दूर।
खिलखिलाती थैली हैं
बारिश में जो मैली हैं
छप छप पांव पड़े
है ज़रूर, है ज़रूर
डब्बो की ताल है
थाली का कमाल है
मंडली में थिर्के
जाएं झूम, जाएं झूम
बाहाने को बहाना
थोड़ा दूर, थोड़ा दूर।।
गोल मटोल मुस्कान
लेंगे चूम, लेंगे चूम
शर्माके भागों
तो ज़रूर, तो ज़रूर
आवाज़ अपनी हल्की है
बातें दो पल भर की हैं
वाह वाही ने किया
हैं मशहूर, हैं मशहूर
बाहाने को बहाना
थोड़ा दूर, थोड़ा दूर।।।
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