Thursday, April 25, 2019

परत

जब आंसुओं का स्वाद होठो पर चढ़ता है
कड़वा एहसास बेबसी में बदलता है।
नक्सीर की टक्साल जाम हो जाती है
भेजे की नसे सुन्न सो जाती है।
ख़्याल और मिजाज़ से जब बू आती है
सीने में जकड़न क्यूं आती हैं।
परत आंसुओं की रह जाएगी
सूजन आंखों पर भर आएगी।
बस सेवरे ना मेरा तुम हाल पूछ लेना
भारी आवाज़ अच्छे बहाने न बना पाएगी।