Thursday, February 7, 2019

तोए ت

जो सोच का बटवा हो ख़ाली

मुस्कान बरसे झोले में

जब तोए फसे गोले में।

खनके कितनी पहली पहल

बासी बिखरे कोने में

जब तोए फसे गोले में।

नक़्क़ादों का फ़रमान बोसा

और तारीफ़ मिले ढकोसले में

जब तोए फसे गोले में।

तमीज़ डकारे पैर पसारे

दिखे अकड़ भोले में

जब तोए फसे गोले में। 

नादानी हाए परेशानी जाएं

आसरा का ताला खोले यह

जब तोए फसे गोले में।

भोर सा मुखड़ा चांद का टुकड़ा

आबाद दिल होले ये

जब तोए फसे गोले में।

धक धक कम कम फिर अगला जन्म

पैदाइश पर चेहरा होए कैसा?

ऐसा की, कोई तोए फसे गोले में।


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